डब्ल्यू कपूर की इस मराठी कविता ' ज़खम ' का हिन्दी अनुवाद कपूर वासनिक द्वारा
ज़ख्म
कल का ज़ख्म
कुछ और था
ऐसे कैसे कहूँ दोस्त
पीड़ा के आवर्तनों की जाति
एक ही तो है
माना आज सिर्फ खरोंच आई है
भलभलाकर
खून नहीं बह रहा कल की तरह
लेकिन आज की खरोंच ही से
कल का ज़ख्म हरा हो उठा
उसका क्या ...?
बहुत बढिया कविता है ... यह डब्ल्यू कपूर नाम का कवि फिरसे सक्रिय हो यह उम्मीद ।
ReplyDeleteमुम्बई के फुटपाथ का यह चित्र भी अच्छा है ।
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